उस रमा की रंगत में!!

उस रमा की रंगत में, हम भी रंगीन हुए थे। उसकी मासूम मुस्कान पर, हम भी मरते थे। वो आंखों में काजल, हमारी जान ले लेती थी। कमर पर कमरबंद, हमारा दिल जकड़ती थी। कसम से जब चलती थी मटक मटक के, जान लेती थी मेरी जानेमन हर ठुमके पे। उसके रेशमी बालों को हम भी संभालते थे, आंचल में छुप के अपनी दुनिया फैलाते थे। खुदा ! चांद सा सुंदर बनाया था उसे , वो सबकी प्यारी हो गई। बहुत दूर मुझसे मेरी चांद, दुनिया को लुभाने आसमान में चली गई।

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